कर्मनिष्ठ और आलस्य दो विपरीत क्रमशः धनी और गरीबी की राह की सुचक है
जिंदगी इंसानी है, यूं जाया न कर दो नौजवान की काया को यूं मिला मृण में न दो कल फिर मिले न मिले जिंदगी पछतावे की इमारत को यूं बढ़ावा न दो
कुछ लोग गलतियों से सीखते हैं वहीं कुछ उसे देखते हुए साथ साथ आगे बढ़ते चले जाते हैं बीच चौराहे पर यूं टॉर्च जलाकर राह निहारने से अच्छा है टॉर्च के लाइट के साथ आगे बढ़ते रहना, समय और ऊर्…
टिप्पणियां और पसंद तो लोग अपने हिस्से बनाने के लिए करते हैं, और हम ख्याली विचारधारा में खुद को बेहतर जानने के बाद भी उनके हिस्से लूटने के बजट खुद को तोलना शुरू कर देते हैं
टूट चुका था मैं.... स्वयं को टूटने से बचाना वास्तव में स्वयं में एक सबसे बड़ी चुनौती है टूटना और बिखरना तो रीत है जिंदगी की मगर टूट कर बिखरे रहना तो वही बात हो गई की हममें कोई जिंदगी ही नहीं …
जीतना इतना आसान होता तो सोचिए कोई लड़ने के काबिल ही ना बनता बिना ठोकर खाए इंसान बिल्कुल भी ना सुधरता जीतना इतना आसान होता तो शायद दुनिया इतना तरक्की ही ना कर पाती ये दुनिया कुछ और ही ह…
हार रास आता नहीं जीत पास आता नहीं ख्वाबों के महफ़िल वाली लक्ष्य बिना जीना भी ख़ास भाता नहीं तो फिर आ.. जी लें हम, दो घड़ी., क्या हो कल, क्या पता?? आस फिर क्यों छोड़े ये हम
सफलता की दूरी कम करना मतलब अपना level up करना फिर क्यों बढ़ती चुनौतियों से घबराना अक्सर बढ़ती सफलता चुनौतियों को भी बढ़ा देती है और ज़िन्दगी लक्ष्य के प्रति दृढ़ता की परीक्षाएं लेनी आरंभ कर देती …
जब हमारी सोच हमारी होती है और फैसले अपने होते हैं तो तो हमारे होश और जोश दूसरों के उत्साह वर्धन का प्यासा क्यों होती है जो चन प्रेरणा से उत्साहित और एक बुराई से हतोत्साहि…
#47 जिस दिन हमारा भागना थम गया ना उसी दिन से जिंदगी की रेस में पिछड़ते चले जाएंगे फिर भी हम आगे निकलने की गुंजाइश और थकान कि शिकायत जुबां पर रखते हैं, अर्थात यहां हर कोई महत्वाकांक्षी है परन्तु…
#48 लोग क्या कहेंगे जिस दिन ये विचार हमारे जेहन से निकाल गया ना उसी दिन से हम अपने मन की करने लगेंगे और भीड़ के साथ फॉलोअर्स बनने के बजाय भीड़ से अलग होकर कुछ बड़ा करने लगेंगे
#46 अपनी नाकामी छुपाते क्यों हो दूसरों को जताने में लजाते क्यों हो सवालों के हल में कतराते क्यों हो पता नहीं तुझे हल सवालों का जो तेरे नाकामी ने न पाने दिया कुछ सवाल तो लोगों के लिए भी होते ह…
#45 कितनी बार कहा तुझसे जो तेरे बस का नहीं उसे नहीं आजमाने का तू जिस योग्य नहीं उस ओर नहीं बढ़ने का वक्त तेरी जाया होगी समय रहते संभल जाने का कितनी बार कहा तुझसे जोश के साथ होश खोना सही है फ…
#43 हर लम्हा कुछ खास होता है उसे अहमियत देना तो हमारे ही पास होता है फिर भी हम वक्त से यही शिकायत के बैठते है अच्छे वक़्त की आस लगाए बैठते है कि Apna time aayega अरे क्या हम ये क्यों नहीं समझते …
#44 विजयी धावक कभी finisher line tak पहुंचने से पहले हार नहीं मानता और बुलंद हौसले k saath धीरे धीरे सबसे आगे निकलता चला जाता है
#41 हिम्मत की आंकड़ा बड़ी करना कष्टों से निपटारा है तुम्हे करना चाहत का इशारा है करना इशारों का फिर गठन भी करना जीवन तो चार दिन की है यारों तो चाहत के इशारों का सम्मान करने से नहीं चूकना जो ठा…
#42 जोश अथवा जुनून में ऐसी ताकत है न जो असंतुलित मनुष्य को भी जीवन के खेल में विजयी बना देती है
#39 अनिद्रा वाली सपने पूरे करने का कभी आरंभ समय नहीं होता इसका तो प्राप्ति के बाद केवल अंत ही होता हैं बशर्ते वो सपने अनिद्रा वाली ही हो और और प्राप्ति की तड़प सोने नहीं दे, थकने नहीं दे, हारने न…
#40 'तड़प रही जीवन, तुझे हासिल करने को जिंदगी के कुछ देखे सपने हथियाने को चल रहे द्वंद अंतर्मन के परिणाम दिखलाने को बीते जख्मों पर सपने रुपी मलहम लगाने को अंधियारे जीवन में प्रकाश फैलाने को क…
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