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कितनी बार कहा तुझसे


#45
कितनी बार कहा तुझसे जो तेरे बस का नहीं उसे नहीं आजमाने कातू जिस योग्य नहीं उस ओर नहीं बढ़ने कावक्त तेरी जाया होगी समय रहते संभल जाने काकितनी बार कहा तुझसेजोश के साथ होश खोना सही हैफिर लौटे होश का जोश भगा देना कहां की होशियारी हैनिर्धारित लक्ष्य चन कांटों से डगमगाने लगेफिर इस चरण का क्या लाभकितनी बार कहा तुझसेअगर है दम निरंतर प्रहाव कातो निरंतर प्रवाहित होकर बतामंजिल तक फिर पहुंच बढ़ा

 


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