हार रास आता नहीं जीत पास आता नहींख्वाबों के महफ़िल वालीलक्ष्य बिनाजीना भी ख़ास भाता नहींतो फिर आ.. जी लें हम, दो घड़ी., क्या हो कल, क्या पता??आस फिर क्यों छोड़े ये हम
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