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बचपन के कुछ ख्वाब पड़े हैं आंखों में
कर्तव्य निर्वाह में असमर्थता
किसके साथ गुजारे शाम
जिस दिन हमारा भागना थम गया ना
लोग क्या कहेंगे
अपनी नाकामी छुपाते क्यों हो
 कितनी बार कहा तुझसे