जिंदगी इंसानी है, यूं जाया न कर दो नौजवान की काया को यूं मिला मृण में न दो कल फिर मिले न मिले जिंदगी पछतावे की इमारत को यूं बढ़ावा न दो
टूट चुका था मैं.... स्वयं को टूटने से बचाना वास्तव में स्वयं में एक सबसे बड़ी चुनौती है टूटना और बिखरना तो रीत है जिंदगी की मगर टूट कर बिखरे रहना तो वही बात हो गई की हममें कोई जिंदगी ही नहीं …
#2 बढ़ती हुयी कदम मंजिल ढूंढ लाती है निरंतर बढ़ता चल तो मंजिल फ़तेह है ये विचार तो सस्ती थी जो पलभर में मिट जाती थी ये उच्च विचारे तो सस्ती रही जो पलभर में मिट जाती थी हमने तो है बढ़ना …
#12 ओ राही तु मेरे बढ़ा कदम। कर एक बार फिर से जतन।। मंजिल अब तेरी दूर नहीं, भरले हौंसला।।। ओ राही तु मेरे बढ़ा कदम। जीतोगे हीं मत पाल भ्रम़।। संघर्ष को रख अंतिम चरम।।। संग लक्ष्य के तु मेरे बढ़ा…
#1 मत रुक युहीं तू , अब मंज़िल तेरी दूर नहीं तू चल श्रम संग बढ़ता चला जा, अब श्रम की बारी आयी है मत सोच इतना कि, उसके आगे तेरा कर्म ही छोटा पड़ जाये तू चल श्रम संग बढ़ता चला जा, अब…
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