Featured Posts

header ads

मत रुक युहीं तू , अब मंज़िल तेरी दूर नहीं

#1

मत रुक  युहीं तू , अब मंज़िल तेरी दूर नहीं
तू चल श्रम संग बढ़ता चला जा, अब श्रम की बारी आयी है 
मत सोच इतना कि, उसके आगे तेरा कर्म ही छोटा पड़  जाये 
तू चल श्रम संग बढ़ता चला जा, अब श्रम की बारी आयी हैi
मत रुक  युहीं तू , अब मंज़िल तेरी दूर नहीं

मत देख पीछे तू, जो तुझे हताश करे
सवाल कर खुद से, तेरा लक्ष्य क्या महत्व रखता है
एक ठोस वजह ही निश्चय को ढृढ़ कर सकता है 
क्या इतने में हीं तू हार मान लेगा 

अपने माटी का मान कर, सम्मान कर 
तेरे माटी का मान हीं तो तुझे बतलाना है 

मत रुक  युहीं तू , अब मंज़िल तेरी दूर नहीं
तू चल श्रम संग बढ़ता चला जा, अब श्रम की बारी आयी है 

जिसने पीछे पीछे बात बनाया, अरे वे तो पीछे रहने के लायक है 
एक बार तेरी खामोशी ही सबका हिसाब कर देगी 
जिस मंजिल को तूने ध्येय बनाया उस हेतु हीं तो श्रम करना है 
वरना पागल तो वे ही होते है जिनका कोई उद्देश्य न हो

मत रुक  युहीं तू , अब मंज़िल तेरी दूर नहीं
तू चल श्रम संग बढ़ता चला जा, अब श्रम की बारी आयी है 

अपने विचार को तू क्रांतिकारी बना मिटा नकारात्मकता को 
तू उन सबका हिसाब कर जो तेरे असफलता की वजह बन गयी 
इम्तिहान तो तेरा हिसाब करेगी हीं जब तू उस काबिल होगा
एक बार तो तेरे कर्म के समक्ष तेरे मंजिल को नतमस्तक होना ही होगा 

मत रुक  युहीं तू , अब मंज़िल तेरी दूर नहीं
तू चल श्रम संग बढ़ता चला जा अब श्रम की बारी आयी है 


Post a Comment

0 Comments