#7 दुनिया वाले कभी उलाहना देते कभी देते ताने, तो कभी कर देते हंगामें तो क्यों इन्हें हम माने उन्हें नहीं चाहिए कोई बहाने बिन मुद्दों के ही आ जाऐ सुनाने नहीं कोई उनके पास सुधी रहे हमारे ये तो हम…
#8 जिस सोपान के सहारे गगन तक रह तय की उसी को अहं रूपी ठोकर से लात मात क्र गिरा दोगे तो स्वयं धरातल पर धराशाई न हो जाओगे
#9 कोई जल्दी नहीं हैं भला तुम क्युं तेज गाड़ी चलाते हो अपनी नहीं तो अपनों की तुम परवाह क्युं नहीं करते हो यातायात के नियमों का तुम क्युं उल्लंघन करते हो इतना भी बता दें मुझको तुम क्युं उन्हें स…
#5 किधर जाएं ऐसे धुंध भरी मौसम में जीवन के धुंध भरी राहों में कठिन हो रहा चलना, पड़ाव कहां रखुं भुवन में किधर जाएं ऐसे धुंध भरी मौसम में थर्रा रही कदम, डगमगा रहा पहिया हौसले का जकड़ रही ये धुंध…
#6 क्यों चैन नहीं मिलता दिल को जब भूल जाता सब गम फिर भी क्यों चैन नहीं मिलता दिल को करता अपना मनमानी फिर भी क्यों बन जाता तू कहर अपनों की जीत की जस्न मानता फिर छोटी खुशियों के गीत गुनगुनाता फ…
#3 बचपन के कुछ ख्वाब पड़े हैं आंखों में बचपन के कुछ सांस पड़े है सांसों में बचपन के कुछ आस पड़े हैं सपनों की बचपन के कुछ याद पड़े हैं अपनों की बचपन के कुछ भुल भी स्मरण हैं स…
#4 कर्तव्य निर्वाह में असमर्थता स्वार्थ, कमजोर अथवा अप्रेम का सुचक हैं
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