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दुनिया वाले
 जिस सोपान के सहारे गगन तक रह तय की
कोई जल्दी नहीं है ।
 किधर जाएं ऐसे धुंध भरी मौसम में
क्यों चैन नहीं मिलता दिल को
बचपन के कुछ ख्वाब पड़े हैं आंखों में
कर्तव्य निर्वाह में असमर्थता