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क्यों चैन नहीं मिलता दिल को


#6 

क्यों चैन नहीं मिलता दिल को जब भूल जाता सब गम फिर भीक्यों चैन नहीं मिलता दिल कोकरता अपना मनमानी फिर भीक्यों बन जाता तू कहरअपनों की जीत की जस्न मानता फिरछोटी खुशियों के गीत गुनगुनाता फिरलोगों को हसाकर खुद भी हंसता फिरदो दिन की जिन्दगी की मौज मनाता फिरकांटों पर चलकर भी यूं मुस्कुराता फिरटूटे हौसले को बुलंद करता फिरचलते चलते इस दंगलों से दूर चलता तू फिरजीवन के अंधियारे से ना घबराता फिरक्योकि इसने कोई संशय नहीं हैदो दिन की जिन्दगी है 
आज रात तो कल दिन का होना ही है

 


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