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किधर जाएं ऐसे धुंध भरी मौसम मेंजीवन के धुंध भरी राहों मेंकठिन हो रहा चलना, पड़ाव कहां रखुं भुवन मेंकिधर जाएं ऐसे धुंध भरी मौसम मेंथर्रा रही कदम, डगमगा रहा पहिया हौसले काजकड़ रही ये धुंध जीवन कोबिछ रहा धुंध का अंधियारा, भटक रही नजरें प्रकाश कोफिर वो उम्मीद, वो रवि का उजाला भी लौटेगाराही तेरे आस की मुराद तो पुरी होगी हीं वो मंजिल भी पा लेगाक्योंकि ये मायावी वक्त तो ऐसी ही (परिवर्तनशील) है
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