'सौ लोगों से मित्रता करने से अच्छा है एक से ही अपनी मित्रता को आजीवन निभा पाना, क्योंकि एक से अधिक मित्रता का अर्थ स्वार्थ होता है वहां घनिष्ठता नहीं रहती और किसी न किसी में फुट, अलगाव अवश्य रहती है'
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