हम मानव का जीवन ही है भूलों के सागर आशियानातुम किस किस को इंगितऔर किस किस को नज़रंदाज़ करना चाहोगेजिस दिन इस गणना की फेरे में पड़ गए तो भूलों की शर्मिंदगी से यूंजीना ही न भूल जाओगे?
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