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नाकामयाबी हमारे मान लेने भर से हे़ैरात में भी अपनी जगह जैसे दिन में चाँद हैविषपान करके भी जीने की संघर्ष ही अमृत बन जाती है अमृत जैसा भोजन भी एक झुठ के विश्वास पर तन पर कहर बन जाता है उन्हें कौन समझाये ?नाकामी कामयाबी हमारे मान लेने भर से हे़ैरात में भी अपनी जगह जैसे दिन में चाँद है उन्हें कौन समझाये ?जिसे सिर्फ अपनी संघर्ष ही सुहायजिसे कभी सफल व्यक्तियों की कहानी नहीं पढ़नाउन्हें कौन समझाये?नाकामी कामयाबी हमारे मान लेने भर से हे़ैरात में भी अपनी जगह जैसे दिन में चाँद है
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