#21
ख्वाबों खयालात में युं खोये रहते होहिम्मत नहीं पूरी करने की तो क्यों ऐसी ख्वाब बनाते फिरते होअच्छी ख्वाबों तो दिल को छुती हीं है तोक्यों ख्वाबी जश्न मनाते फिरते होबूरे ख्वाब तो रुला दिया करती है तोक्यों ख्वाबों को आत्मसात करते फिरते होये ख्वाब तो ख्वाब हीं होते हैंकभी खुशी तो कभी गमगीन कर दिया करते हैंअकसर इनमें कुछ कड़वी यादें कुछ मीठी यादें तो कुछ लक्ष्य के वादें शामिल होती है

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