#31

सब्र कर कर्म भी किया कर
श्रम कर लक्ष्य भी तय किया कर
श्रमवान, निष्ठावान जिद्दी बन 
मंजिल को समय भी जाए थम 
चौपड़ खेल किताबों के संग
लक्ष्य देख रह जाए सब दंग
बिखेर दे किश्मत में रंग
नई राहें निर्भीक चल सब
बन जा प्रेरणा का सबब
कांटों की राह भी होगी
मुश्किलें भी आसान बनती मिलेगी

नइया एक दिन पार भी होगी