Featured Posts

header ads

घर मुझे पहचानते हो

घर मुझे पहचानते हो
मै वही शक्स हूं, जिसे तुमने आश्रय दिया
वही सेवक हूं तेरा, जिसने तेरे आंगन में खेला
तुमने सुरक्षा दी, पनाह दिया
आज मैं कितना दूर चला गया
याद आता है वो बचपन, वो क्रीड़ाभूमि तेरा
मैं सच में कितना दूर चला गया
घर मुझे पहचानते हो, 
मैं तो तुम्हें कभी ना भुला पाऊंगा
आज मैं फिर सपनों में तेरी ही गुण गाऊंगा
तुझ पर मेरी पहली कदम टिकी और
 अपने कदमों पर है चलना सीखा
मैं तो तुम्हें कभी ना भुला पाऊंगा






Post a Comment

0 Comments