कैद करलो तुम मुझे चारदीवारी में फिर भी सत्य की मार्ग और सौराष्ट्र की भक्ति न मिटा पाओगे जकड़ लो जंजीरों से रोम रोम में बसा सैलाब धधकती ज्वाला को न रोक पाओगे कैद कर लो तुम मुझे फिर भी तेरी कारागार की औकात नहीं जो किसी सपूत से उसकी मातृ भक्ति छीन सके
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